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हर शाम, दिन...

हर शाम, दिन के बीत जाने पर अगर कुछ रह जाता है तो वो, कुछ ख़्वाहिश.. कुछ उम्मीद.. कुछ वक्त.. कुछ लम्हें.. कुछ सवाल.. इतना ही नहीं हर शाम कुछ तो बहुत कुछ अधुरा रह जाता है ...

By KAMESH YADAV
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