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हर राह...
हर राह मंजिल तक...
हर राह...
“
हर राह मंजिल तक है पहुँचाती
फिर यह क्या राह मैने चुनी
बस तेरे इर्द गिर्द चुप से
घुमा घुमा प्रीत के
गीत सुनाती है।।
⚘रा.जि.कुमार
”
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