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हर ऑंख...
हर ऑंख से ऑंसू...
हर ऑंख से...
“
हर ऑंख से ऑंसू बहते हैं
जब कमी किसी की खलती है
मजबूत होता है वो शख्स
जो अपने दर्द में रोता है
परवाह नहीं होती दुनिया की
ना इस बात की
की लोग क्या कहेंगे
©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'
”
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