Dheeraj kumar shukla darsh
Literary Brigadier
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कलम की ताकत है यही जो राह दे समाज को नयी मैं कविता और गाने लिखता हूँ,क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी रहा हूँ और अपने विद्यालय के दिनों में अच्छा वक्ता रहा हूँ॥

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है इंतजार आज भी, तुमसे मिलने का। हर दिन खोलकर दरवाजा, निहारूँ मैं रास्ता। सुकून नहीं मिलता आज भी, इन आँखों को सजना। लाल साड़ी,चूड़ी और गजरा, यही है मेरा श्रृंगार सारा। ©®धीरज कुमार शुक्ला'फाल्गुन' झालावाड़,राजस्थान

हर ऑंख से ऑंसू बहते हैं जब कमी किसी की खलती है मजबूत होता है वो शख्स जो अपने दर्द में रोता है परवाह नहीं होती दुनिया की ना इस बात की की लोग क्या कहेंगे ©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'

" शिक्षा अगर मातृभाषा में हो तो संस्कार देती है शिक्षा अगर विदेशी भाषा में हो तो संस्कार छीन लेती है॥" ©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'

प्रेम कहानियाँ अमर प्रेम की अमर निशानियाँ होती है ©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'

Love is define by trust because love is trust and trust is love. ©®dheeraj kumar shukla'darsh'

वक्त आ गया पंख फैलाने का एक साथ मिल परवाज भरने का दूर है गगन तो दूर ही सही है हूनर उस आसमां को छूने का ©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'

झूठ बोलकर रिश्ता ना रखो,सच बोलकर खत्म कर दो

प्रकृति से जुड़ो, जीवन बदलो

है रामभक्त भोलेशंकर,पूजे राम को निरंतर रामेश्वरम् में बनकर ज्योति,काम करे राम के सारे॥ ©®धीरज कुमार शुक्ला'दर्श'


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