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हंसते हुए...

हंसते हुए ये रैना कट जाए, यह हो नहीं सकता, पलकें भीगी हैं तो क्या हुआ, सुबह के लिए भी तो कुछ ख्वाहिशें बाकी हैं।

By PRIYAL GUPTA
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