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हे...
हे नाथ..!
मुझ...
हे नाथ..!...
“
हे नाथ..!
मुझ नासमझ प्राणी पर बस इतनी दया करना, जब भी मैं कुछ बोलूँ बस तेरा ही नाम निकले और जब भी हाथ फैलाऊँ बस तेरा ही दर हो..!
Aishani
”
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