“
है रंग सफ़ेद जो गंगे में ,
वो रंग सफ़ेद तिरंगे में ,
डरने की है कोई बात नहीं,
जब यार है मेरा उजले में,
इस जंग में मेरा शेर है तू ,
अब खौफ नहीं है जीने में,
फिर कोविड ऐसे भागेगा,
हो जैसे आग पतंगे में,
ये रात भी काली जाएगी,
आएगी धुप सुनहरे में !!
....... उमंग 'सहारनपुरी
”