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है इंतजार आज...
है इंतजार आज...
है इंतजार...
“
है इंतजार आज भी,
तुमसे मिलने का।
हर दिन खोलकर दरवाजा,
निहारूँ मैं रास्ता।
सुकून नहीं मिलता आज भी,
इन आँखों को सजना।
लाल साड़ी,चूड़ी और गजरा,
यही है मेरा श्रृंगार सारा।
©®धीरज कुमार शुक्ला'फाल्गुन'
झालावाड़,राजस्थान
”
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