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गुनाहों में...

गुनाहों में डूबा हुआ इक बशर हूं हालातों का मारा हुआ बे_मंजिल का एक सफर हूं मां बाबा के उम्मीदों का किरण हूं एक दिन चमकूंगा मैं भी लिए खुद में मैं अपना अंदाज_ए_हुनर हूं

By राजेश "बनारसी बाबू"
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