“
एक स्वप्न जिसने मुझे झिझोड़ कर रख दिख दिया
उसमें थी वो स्मृतियां जो कब की धूंधली हो चुकी
लेकिन आज पुर्न: मेरे मन पर वो घर कर गयी
वो भी तब जब मैं काफी दूर जा चुकी थी तब
उस स्वप्न मैं थे तुम
जो कब के जा चुके थे
मेरी यादों से,मेरी बातो से, मेरे जीवन से परे
स्वप्न टूटा तो याद आया कि
मैं कुछ भूल रही हुं
अरे! हा कि यह भी एक स्वप्न था
और तुम भी अब एक स्वप्न ही हो
जो अब टूट चुका हैं
”