“
एक सफेद रोशनी जो अंधरो से बचाती है । ये रोशनी ही ईश्वर का प्रतिरूप है और हम मनुष्य इसे भिन्न - भिन्न नामो से जानते है और पूजते है । पर असल में ईश्वर एक सफेद रोशनी की तरह है एक उजाला जिसकी चाह हम तब करते है जब हम अंधेरों में फसं जाते है ।
ना मेरा कोई रूप
ना ही कोई प्रारूप
मै अंदर हूं तुम्हारे
भीतर लेकर
एक असीम प्रकाश ।।
कंचन सिंगला
”