“
ए बादल तू आज देर तक बरसना ।
बड़े मुद्दत के बाद सारे दोस्त मिले हैं।
गरम चाय की प्याली संग ,
लड़ी लगी है बातों की ,
जज़्बातों को जैसे पंख से लगे हैं।
बातों की गरमाहट संग ,
चाय का उठता धुआँ,
बारिश के संग मिलकर दिल के
साज़ छेड़ गए है।
ए बादल तू आज ज़ोर से बरसना
बड़े अरसे बाद चाय पर दोस्त मिलें हैं।
मनीषा सिन्हा
”