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धूप में हो...

धूप में हो रही है बारिश फिर उम्मीद टूट रही है हो रही है साजिश फिर बारिश में गरीब बच्चे भींगते कांपते रहें छत से पानी टपकता रहा बच्चें ताकते रहे तेरी रहमत को परवरदिगार कर दे पूरी इनकी गुजारिश फिर

By राजेश "बनारसी बाबू"
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