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धूप बढ़ती...

धूप बढ़ती जाती है तो हम छाँव ढूंढते हैं । बरसात बढ़ती जाती है तो हम घर ढूंढ़ते है । जब ठंड बढ़ती जाती है तो किसी के बाहे देखते है । प्यार बढ़ने लगता है तो नजरों से छुपते है । - नासा येवतीकर

By नासा येवतीकर
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