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ढलना है तो...

ढलना है तो पानी की तरह ढलो जो सांचा मिले, उसका आकार हो जाए रंग बदलना है तो चायपत्ती की तरह बदलो कि रंग बदले और स्वाद आ जाए घुलना है, चीनी की तरह घुलो कि घुलते ही मिठास आ जाए बनना है दूध की तरह बनो मिलकर दूसरों में नई खुशबू आ जाए और एक प्याली कड़क चाय बन जाए

By भारती भानु
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