भारती भानु
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अदाएं अपनी अल्फ़ाज़ में सिमटने दीजिए, हमें भी जरा खामोश सी नज़्म लिखने दीजिए।

वो करें चिंता जिंदगी की परेशानियों की, जो बेवजह की उलझनों में लिप्त है। हमें नहीं फिक्र किसी परेशानी की, हम तो भोलेनाथ की भक्ति में तृप्त है।

वो करें चिंता जिंदगी की परेशानियों की, जो बेवजह की उलझनों में लिप्त है। हमें नहीं फिक्र किसी परेशानी की, हम तो भोलेनाथ की भक्ति में तृप्त है।

वो करें चिंता जिंदगी की परेशानियों की, जो बेवजह की उलझनों में लिप्त है। हमें नहीं फिक्र किसी परेशानी की, हम तो भोलेनाथ की भक्ति में तृप्त है।

वो करें चिंता जिंदगी की परेशानियों की, जो बेवजह की उलझनों में लिप्त है। हमें नहीं फिक्र किसी परेशानी की, हम तो भोलेनाथ की भक्ति में तृप्त है।

ढलना है तो पानी की तरह ढलो जो सांचा मिले, उसका आकार हो जाए रंग बदलना है तो चायपत्ती की तरह बदलो कि रंग बदले और स्वाद आ जाए घुलना है, चीनी की तरह घुलो कि घुलते ही मिठास आ जाए बनना है दूध की तरह बनो मिलकर दूसरों में नई खुशबू आ जाए और एक प्याली कड़क चाय बन जाए

मौत का स्वाद चखकर आई है जिंदगी फिर से मरने की तमन्ना साथ लाई है जिंदगी मौत को झुठला दिया तो जग हँसाई है जिंदगी सागर है मौत, नदी की तरह लहराई है जिंदगी

मैं सबल हूँ, मन प्रबल है स्वास्थ्य का मंत्र ये बड़ा सरल है मेरी इच्छाशक्ति के सामने रोग हो या दोष हो सब दुर्बल है मेरा मन सर्वशक्तिमान, मेरा विश्वास अटल है - भानु

मंजिलों की है क्या औकात कि हमें निराश करें सही रास्ते ग़र हम शिद्दत से तलाश करें


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