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दावत दी है...

दावत दी है मैंने आकर मेरे दिल से खेले कोई बेवजह ही अब मुझे गर्दिशों में धकेले कोई यूं तन्हा रहना नही हो पाएगा अब हमसे चाहिए हमें भी प्यार मोहब्बत के झमेलें कोई

By Prasoon Srivastava
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