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चरित्र ...

चरित्र वृक्ष के समान है जिसकी जड़ों को खाद, पानी और सुरक्षा की आवश्यकता होती है , मान उस वृक्ष की छाया है। किंतु हम वृक्ष ( चरित्र ) की चिन्ता छोड़ छाया ( मान )की चिन्ता करते हैं। जबकि वृक्ष की सुरक्षा से छाया स्वतः प्राप्त हो जाती है

By Mohan ITR Pathak
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