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चोट देकर...

चोट देकर दर्द ए दिल का हाल पूछते है सीने में खंजर कर जख्म ए हजार करते है खुद गुनाह कर हमे गुनहगार कहते है तुझे तेरी खुशी मुबारक हो दोस्त ये उदासी भरी शाम हम अपने नाम करते है वो बातो की लंबी राते और यादें हम अपने नाम करते है

By राजेश "बनारसी बाबू"
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