चलते—चलते...

चलते—चलते मुकम्मल होंगे सपने कभी... पर राहों में कांटे आयेंगे कई... आंखें क्यों नम करते हो जनाब... आज नही तो कल वो ख्वाइश पूरे करेंगे हम भी....

By Ashwin Kumar Lihala
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