“
@ चलो कहीं इश्क की तलाश की जाए @
बहुत हुआ अंधेरा,
अब तो उजाले की आश की जाए।
चलो कहीं इश्क की तलाश की जाए।
रूढ़ियों में उलझी जहाँ, जिंदगी न हो।
भेदभाव, नफरतों की गंदगी न हो।
बहुत हुई बेकदरी,
अब तो इकट्ठी हर श्वांस की जाए।
चलो कहीं इश्क की तलाश की जाए।।
”