शराब नहीं पी,
फिर भी देह शराबी हो गई।
तुम्हें देखते ही जाने क्यों,
मेरी जिंदगी गुलाबी हो गई।
वह आसमां पर सितारों-सी छाने लगी है।
नारी अब हर मुकाम पाने लगी है।।
तू गुणों की छलकती गागर है
ओ मेरी माँ।
तू मुहब्बत का गहरा सागर है
ओ मेरी माँ।
तेरी मुस्कुराहट जैसे गुलाब का फूल
तेरी मुस्कुराहट जैसे खुदा का उसूल।
तेरी मुस्कुराहट जैसे गुलाब का फूल
तेरी मुस्कुराहट जैसे खुदा का उसूल।
तेरी मुहब्बत में कुछ इस तरह मालामाल हो जाऊं।
मौसम होली का हो और मैं
गुलाल हो जाऊँ।।
© Dr. Pawanesh
प्रीत की है रीत यही, यह मांगता समर्पण।
तन, मन, धन अपना सभी, प्रेमी हित में अर्पण।।
सच्चे रिश्ते स्वार्थ से परे होते हैं।
सुख-दुःख दोनों संगी,
जीवन के ये मीत।
ज्यों फूल-शूल से चलती, उपवन की हर रीत।