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चलो इन...

चलो इन फासलों को मिटाया जाए एक दूजे के करीब आया जाए एक दूजे के होठों को चूम के क्यू ना इस किस डे की शाम को हसीन किया जाए

By राजेश "बनारसी बाबू"
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