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चलने को...

चलने को तैयार हू, पर कदम उठते नहीं, कहाँ जाना ये तय है, पर कदम चलते नहीं, किस सोच में खड़ा है'सुर्यांश' बता जरा, क्या तेरेसे जानिब मंजिल पुछते नहीं।

By SURYAKANT MAJALKAR
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