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चाय की टपरी...

चाय की टपरी पे, दो दोस्तो को अकेला छोड़ आया हूँ; अपेक्षा और भरोसा। अब यूंही चल पड़ा हूँ, आगे मोड़ पर हिम्मत और आत्मविश्वास मेरा इंतज़ार कर रहे हैं।

By Denzil Vonlintzgy
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