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चार दिवारी...

चार दिवारी में बैठे-बैठे ही तुमने जमाने को मतलबी मान लिया, कभी अपने बुने जाल से बाहर आकर तो देखो अपनी जरूरतों के काटे पर दुसरो को तोल कर तो तुमने फैसला कर लिया, कभी खुद को भी अपनी शर्तो पर आज़माकर तो देखो

By Shreya Raj
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