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चांद सूरज...

चांद सूरज घर के रोशनदान में रखे है देखने को तुझे तेरे तलबगार खड़े है शराब के नशे की क्या औकात तेरी अदा के आगे हसीना तेरे आशिक बिन पिए ही तेरी अदा से घायल हो ज़मीं पर पड़े है

By राजेश "बनारसी बाबू"
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