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चांद को रूठा...
चांद को रूठा...
चांद को...
“
चांद को रूठा देख, मैंने पूछा,
"क्यों छुपते हो तुम बादलों के घेरे मे?"
मुख फेर के हल्के से बोला,
"मुझे अकेला छोड़ दो, इन तन्हाइयों के अंधेरे में।"
”
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