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"चाहत...
"चाहत की बसंत...
"चाहत की...
“
"चाहत की बसंत खीली हुई थी,
पतझड़ की विरानी दे गया,
सांसो में तेरा सूमिरन था
" मुरली"
अरमानों का दफ़न कर दीया।"
-कवि "मुरली"
”
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