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बोलती निगाह...

बोलती निगाह तेरी आगोश में समेटने को आतुर ये बाहें तेरी लरजते होंठ सनम तेरे सब ईक नेमत हैं मेरे, रहने दो इन्हें बस यूँ ही सजे सदा बस यही दीवाने की ईक इल्तजा।। ❣राजीव जिया कुमार सासाराम,बिहार।

By Rajiv Jiya Kumar
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