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भयावह वह...

भयावह वह मंजर था जब डर मेरे अंदर था। डर के फन को कोशिश कर मैंने कुचल डाला। हौसलों से नव सृजनशील सागर को रच डाला। खुबसूरत एहसास अंदर था डर केवल वहम था।

By Manisha Maru
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