“
बेवफाई का कोई हद होती है,लेकिन तुम्हारा कोई हद नही।तुम दिल तोड़ने जानते हो,किसीसे प्यार नही।क्या करूँ अब उस सपनो का,जो तुम्हारे बिना अधूरा है।बारिश की बूंदों से अब नफरत है मुझे,क्योंकि हरबार तुम्हारा याद दिलाती है।अब जी तो रही हूँ,लेकिन ज़िंदा लास बनचुकी हूँ।इतने बार दिल तोड़के टुकड़े टुकड़े करचुके हो के,एक एक टुकड़ा जोड़ूँ तो जोड़ना नामुमकिन सा है।अब दूर हो तो दूर ही रहना,पास होना भी मौत जैसा है।
”