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बावरी...

बावरी अंखियां, दरस दीवानी श्वासों ने प्यास की गहराई ही न जानी पीकर तृप्त होना हर प्यास का पर्याय नहीं बंधनों में लिपटों को बात ये समझ ना आनी।।

By Ridima Hotwani
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