STORYMIRROR

अंतिम पड़ाव...

अंतिम पड़ाव पर हूँ, शायद तू फिर से न मुकर जाए ये वक्त बस यूँ ही न गुजर जाए आजा एक शाम फिर से जी लेते हैं सारे गिले शिकवे पैमाने मेँ भर के पी लेते हैं फिर भुलाएंगे एक दूसरे को हऱ रोज कतरा कतरा शायद इसी बहाने याद आऊगा जरा जरा

By Rahul Yadav
 158


More hindi quote from Rahul Yadav
16 Likes   0 Comments