“
अंधे को हम कहें।
आगेभींत दिवार हैं।
वह तब तक नहीं मानता।
जब तकभींत दिवार
से नहीं टक्कराता।
वैसा सिस्टम चल पड़ा हैं।
सबके सब मन मर्जी
से चल रहे हैं।
कोई किसी कि नैक सलाह मानने को तैयार नहीं हैं।
युवा पिढी मातापिता
कि बात भी नहीं मानते हैं।
तो दुसरो कि बात कया
खाक बात मानेंगे।
”