“
ऐ दोस्त तू जिंदगी कर ले,
कुछ इस तरह से बसर
घुट-घुटकर ऐसे ही जीने की,
खुद को ना दें सजा
यादगार बन जाए ये जीवन,
पल-पल कि क्षणों में तू ले-ले
जीने का मजा
मरके फिर कभी ना होगा,
इसी शरीर में तेरी आत्मा का मिलन
जुदा होंगे ये एक दूजे से,
कहीं ना होगा इसका नामो-निशा
अनमोल इस देह को व्यथीत नाकर,
तू दुख और पीडाओ से
उस राह को चुन लें जहां मिल जाए,
तुझे जीने कि एक नई दिशा
" सुनीता चावडा"
”