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ऐ...

ऐ बादल! लाँघ ले तू सीमाएं सारी निष्ठुरता की, पर सुहागिनों का विश्वास न डोलने वाला है। तू जिद्द पर अड़ा है तो वो भी जिद्दी कम नही, ये नारी हठ है इसे भला कौन तोड़ने वाला है।। देव शर्मा✍️

By Dev Sharma
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