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अबकी सुख के...

अबकी सुख के बिना सूख गयी ये खुशियाँ, गला भी भरभरा सा गया है और आंखे भी नम हैं, लगता है बरसों का दुःख अब तड़प कर अँखियो से बहने को है, खैर इस अंधियारी रात के बाद उजाला तो होने को है, अब अहसास है की बरसात होने को है |

By Stuti Srivastava.
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