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अब किसी बात...

अब किसी बात पर नही आती क्या हुआ इश्क में मुझसे गुस्ताखी हमसे भी नही बतलाती अब उन्हे हमारी याद नही सताती कल जो मेरे साथ जीने मरने करने की कसमें खाते थे कल जो मेरे खुशी के लिए औरों से झगड़ा कर जाते थे अब वह किसी और के साथ बिस्तर की प्यास बुझाते है अब वह किसी और के साथ वफा ए प्यार के रस्म निभाते है अब उनको हमारी परवाह नही सताती

By राजेश "बनारसी बाबू"
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