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आवाज़...

आवाज़ तुम्हारी, कानों में जब हल्के से आ पड़ती है मन को मंदिर तन को चन्दन पल भर में कर देती है सुरमय हो कर महक़ तुम्हारी मन को ख़ुब इतराती है जन्म -जन्म के पुण्य कर्म का लेखा-ज़ोखा दर्शाती है

By Shobhit Awasthi
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