“
आंखे समझ जाती है
जूठे बोल सुन ने ज़रूरत नहीं है
चाल पे पता चलता है की
हाथ कितने जुड़े है।
नए रंग भी मतलब बता देते है,
तो इंसान तो शण में बदले है।
एक बारिश की बूंद भी कहती है
ज़रूरत पर बोलो ,समझ से काम करो
कोई जाए कोई फर्क नहीं होना चाहिए ।
मोर की तरह खुद पे मस्त रहो।
”