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आज.मैं आज़ाद होना चाहती हुं ............
आसमान को छूना चाहती हुं
में हर गली में घूमना चाहती हुं
बहुत हुआ घर का काम
अब कुछ पल में आराम चाहती हुं
छत पर बेठ कर घंटो
तारों को गिनना चाहती हुं
बन कर पंछी
आज फुदकना चाहती हुं
बहुत हो गयी डांट
हर वक्त किसी का साथ
इस पिंजरे से में
आज छूटना चाहती हुं
हैं आंसू छिपे इन आँखों में
दिल में दर्द हैं हजार
आज में फूटना चाहती हुं
बनकर छोटी सी बच्ची
आज में उछलना चाह
”