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आज फिर से खुद हो गई है मोहब्बत
दिल की अब खुद से बढ़ गई है हसरत
बहुत हुआ गैरो से मोहब्बत अब खुद से खुद ही करनी है मोहब्बत
नही बिकना हमे इश्क के बाजार में
अब कुछ कर गुजरने की है नौबत
अब तख्त ए ताज हासिल कर ही दम लूंगा
चाहे कितनी भी सहनी पड़े ढेर सारी फजीहत
”