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आज दिन बुरे...

आज दिन बुरे है तो क्या हुआ, फिर भी, चांद हूं अंधेरो का। कल को उजाला ज़रूर होगा, फिर बनूंगा में; वो चमकता सूरज सवेरो का।

By Denzil Vonlintzgy
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