“
1)
एक तेरा साथ तो कठिन राहें आसान थी,
तेरा साथ ही था तो लगा मंजिल पास थी,
माना ज़िन्दगी की यात्रा बहुत ही लम्बी थी
पर कोई शिकवा नहीं क्योंकि तू साथ थी।
📝संगीता अशोक कोठारी 📝
2)
साथ ये लम्हें सुखद तेज हमारी चाल थी,
भाल पर तुम्हारी लटे,मुझसे टकरा रही थी
स्पन्दन बदन से होकर पंहुचा रूह में भी,
वो स्पर्श,वो ख़ुशी पहली दफ़े महसूस की
📝संगीता अशोक कोठारी 📝
”