“
कल देखा था उसे पड़ोसियों से झगड़ते हुऐ,
आज उन्ही के कंधो पर हो सवार चल दिया।
ये दुनिया नही किसी की मिल्कियत,
रैन बसेरा है, सुबह होते ही उड़ जाना है।।
जग में ऐश्वर्य भोग, एक डौर परमपिता को सोंप।
आयेगा जब विदाई का वक्त, नही होगा कोई खोप।।
Jitendra kapoor
”