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हुई विदाई...

हुई विदाई ग्रीष्म की, आया वर्षाकाल। बूँदों की बौछार से, जन जन हुआ निहाल। जन-जन हुआ निहाल, किया घर घर ने स्वागत। शीतल चली बयार, मिली तन मन को राहत। जल स्रोतों में धार, बरसती बरखा लाई। आया वर्षाकाल, ग्रीष्म की हुई विदाई। -कल्पना रामानी

By कल्पना रामानी
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