“
अपने से अपनें आप ना देख पाई
अपने से अपने आप को सुन ना पाई
अपने से अपने आप को ना समझ पाई
अपने से अपने आप को ही बोल नहीं पाई
लोगो ने चहरे पे
नकाब इतने कर लिए की
नकाब और चेहरे
में फरक नहीं रहा
दूसरे का तोह पता नहीं
उन्हे अपना मान कर
हम अपने आप
को ही धोका दे बैठे
”