प्यारी माँ
प्यारी माँ
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माँ तो केवल माँ होती है।
बच्चे की सब कुछ होती है।
शिशु के भाव सहज मन से,
जो पल भर में ही पढ़ लेती है।।
बच्चे बनकर कभी खेलती,
गुस्से, नख़रे साथ झेलती।
उसके सुर में अपने सुर को,
तुतला करके गीत बोलती।।
जब रूठे वह उसे मनाती।
वह परियों की कथा सुनाती।
नींद नहीं आती जब उसको,
लोरी गाकर उसे सुलाती।।
कभी कभी रोने लगता जब,
माँ को चैन नहीं मिलता तब।
काम काज तजकर कहती वो,
चुप हो जा राजा बेटे अब।।
तुम बादाल अगल दाना तो
मेले लिए थिलौने लाना।
हाँ, हाँ, हाँ मैं सब लाऊँगी।
चुप हो जा चल खा ले खाना।।
माँ ने खाना उसे खिलाया।
बाहों में फिर उसे झुलाया।
माँ का दिल भी झूम उठा,
जब बच्चा हँसा और मुस्काया।।