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Akanksha Kumari

Others

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Akanksha Kumari

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अरे अब बस

अरे अब बस

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ये आंखें है या एक झरोखा,

ये नज़रें है या एक रोशनी,

ये पलकें है या पर्दे,

ये सच है या बस एक ख़्वाब।


ना दिन है ना रात,

ना दूर है ना पास,

ना नफरत है ना ही प्यार,

ना लब्ज है ना ही जुबान।।


बस है तो इस दिल की पुकार,

अब बस अरे अब बस,

यही है अब एक गुहार।।


अरे कब तक सहे हम,

अरे कब तक चुप रहे हम,

अरे कब तक इंसाफ के लिय जले हम,

अरे कब तक तेरी हैवानियत का शिकार बने हम।।


है जान हम में भी,

है भावनाएं हमें भी,

है होता दर्द हमें भी,

है इच्छाएं हमें भी।।


अरे अब बस कर तू,

जन्म लिया है तूने भी उसी कोख से,

जिसे आज तू नोच खरोच रहा है,

अपनी हैवानियत की खातिर,

अरे शर्म कर ऐ इंसान।।


हम ना हुए तो तू कहां से आयेगा,

तेरी मर्द जाति का नामोनिशान मिट जाएगा,

अरे अब सोच,

मत आने दे एक लड़की पे एक भी खरोच।।


बचा सकता है तो बचा ले अपनी जान,

वरना मिट जाएगा तेरा नामोनिशान।।


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